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हाई ब्लड प्रेशर(उच्च रक्तचाप) के उपचार

हाई ब्लड प्रेशर(उच्च रक्तचाप) के उपचार


उच्च रक्तचाप एक प्रकार का लक्षण है जो कि हृदय, गुर्दे या रक्त संचार प्रणाली में गड़बड़ होने के कारण होती है,इसलिए इसे रोग कहना उचित है या नही ये आप खुद विचार करिए।
इस रोग का कोई समय या उम्र नही होती यह किसी भी आयु के व्यक्ति को होने लगी है। यह रोग अनुवांशिक लक्षणों के कारण भी हो सकता है। यह रोग उन सभी को होने का लगभग निश्चित समझना चाहिए जिसके जीवन मे तनाव होता है।
जो लोग अधिकतर क्रोध, दुःख, भय जैसे भावनाओ से घिरे रहते है उनको रक्तचाप जल्दी हो जाता है।  धूम्रपान, नशा, थकान, अधिक मानसिक परिश्रम या परिश्रम की कमी, फास्टफूड, अधिक वसायुक्त भोजन, मधुमेह, गठिया सुजाक, कब्ज आदि रोगों के कारण भी उच्च रक्तचाप हो जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर(उच्च रक्तचाप) के उपचार
हाई ब्लड प्रेशर(उच्च रक्तचाप) के उपचार

लक्षण:--
*  शुरू में सिरदर्द होता है, चक्कर आना, धड़कने तेज होना, सिर में भारीपन होना आदि।
*  आलस्य, काम मे मन न लगना, उल्टी होना।
*  जी घबराना, अत्यधिक बैचैनी, पाचन में गड़बड़ी।
*  आँखों के आगे अंधेरा आना, नींद न आना, आदि इसी रोग के लक्षण है।
*  जब यह रोग बढ़ जाता है तो नाक से खून आने लगता है, हृदय में दर्द होने लगता है, हाथ-पैर सुन्न हो जाते है।

निदान:--
1. पपीते का रस पीने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
2. एक चम्मच प्याज के रस में दो चम्मच शहद मिला कर पीना चाहिए।
3.  तीन सेब सुबह व एक सेब शाम को खाना चाइये।
4.  रोज सुबह लौकी का रस पीने से भी लाभ मिलता है।

अन्य उपाय:--
1.  सदा व आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए।
2.   समुद्री नमक का प्रयोग न के बराबर करे हो सके तो सेंधा नमक प्रयोग करें।
3.  क्रोध, चिंता, तनाव, से जितना हो सके दूर रहें।
4.  सप्त में एक दिन फलाहार या उपवास में रहे।
5.  व्यायाम अवश्य करें।

योग:--
*  अनुलोमविलोम, उज्जायी, भ्रामरी, उद्गीत, शीतली शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास करें।
*  पवनमुक्तासन, वज्रासन, मकरासन उपयोगी आसान।
*  कुंजल, नौलि, कपालभाति, नेति,।
*  ॐ का उच्चारण कर उसी ध्वनि में ध्यान करे।

नोट:--
उपरोक्त सभी जानकारी आपके ज्ञानार्जन के लिए है, किसीभी प्रकार की कोई समस्या होती हो तो किसी कुशल वैध से परामर्श अवश्य ले स्वयं वैध न बनें ।
धन्यवाद।

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