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पद्मासन कैसे करे ? पदमासन की विधि,लाभ जाने

पद्मासन कैसे करे ? पदमासन की विधि,लाभ जाने ।

पदमासन:-

पदमासन संस्कृत भाषा से निकला हुआ शब्द है या ये कह सकते है कि पदमासन की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है जिसका अर्थ होता है-कमल जैसी मुद्रा। अर्थात पदमासन की मुद्रा या स्थिति कमल के फूल जैसी होती है
तथा पदमासन योगासन का एक ऐसा आसन है जो अकेले ही सभी प्रकार के शारारिक, मानसिक, बौद्धिक विकास करने में समर्थ है। पदमासन का प्रयोग प्राचीन काल में ऋषि मुनि अपने ध्यान/मन को एकाग्र करने के लिए किया करते थे।

यह आसन व्यक्ति को इस भौतिक पर्यावरण से आध्यात्मिकता की और ले जाता है।

पद्मासन कैसे करे ? पदमासन की विधि,लाभ जाने
पद्मासन कैसे करे ? पदमासन की विधि,लाभ जाने


पदमासन करने की विधि (how to do Padmasan ):-

पदमासन करने की विधि कुछ हद तक सुखासन करने जैसी ही है इन दोनों आसनो में बस कुछ ही steps का फर्क है।

पदमासन करने के लिए निम्न steps को follow करे-

◆सबसे पहले एकदम शांत एवम यदि संभब हो तो प्राकृतिक वातावरण में चटाई बिछाकर बैठ जाये।

◆अपने बाये पैर की एड़ी को दाहिने पैर की जांघ पर तथा दाये पैर की एड़ी को बाये पैर की जांघ पर रखे।

◆ध्यान रहे कि दोनों पैरों के तलवे ऊपर की और हो।

◆कमर तथा गर्दन को सीधा रखें तथा छाती को थोड़ा आगे करते हुए बैठे।

◆अपने दोनों हाथों को घुटनों पर इस प्रकार रखे कि हथेलिया ऊपर की और हो।

◆अब धीरे-2 स्वास को नीचे से ऊपर की और  ले जाये तथा मन को एकाग्र करने की कोशिश करे।

◆यह क्रिया 15 से 30 मिनट तक करे।


पदमासन के लाभ (Benifits of Padmasan):-

●पदमासन शरीर के लिए अतिउत्तम योगासन है यह अकेेले शरीर का शारारिक,मानसिक विकास करने में समर्थ हैं।

●पदमासन शरीर के पाचन तंत्र को दुरुस्त कर पाचन क्रिया को बढ़ाता है।

●पदमासन से रीढ़ की हड्डी के रोगो को  दूर कर इसे मजबूत बनाता है।

●पद्मासन से शरीर के स्वशन तंत्र को सही करता है तथा स्वसन संबंधित रोगों को दूर करता है।

●प्रतिदिन पद्मासन करने से मानसिक विकार दूर होते है।
●इससे जोड़ो का दर्द दूर होता है।

●मंदबुद्धि लोगो के लिए पदमासन रामबाण उपाय है इसका प्रतिदिन अभ्यास करने से मानसिक मंदता दूर होती है।

●पदमासन बौद्धिक विकास के लिए सर्वोत्तम है क्योंकि यह मनुष्य को आध्यात्मिकता की और लेकर जाता है।


पद्मासन करते समय सावधानिया:-

◆साइटिका के रोगी इस आसन को न करे।

◆इस आसन को हमेशा भूखे पेट व सुबह के समय करे।

◆जिन्हें रीढ़ की हड्डी से संबंधित या अन्य जोड़ो से संबंधित रोग हो वे इस आसन को अवश्य करे, लेकिन किसी experts की देख रेख में करे।


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